इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर गडकरी का आइडिया शानदार, चीफ जस्टिस ने कहा- क्या वे सलाह देने के लिए अदालत आएंगे

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण रोकने के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के आइडिया की तारीफ की है। बुधवार को कोर्ट ने कहा- सार्वजनिक परिवहन और सरकारी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ई-व्हीकल्स) से बदलने का उनका आईडिया शानदार है। अदालत ने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की। मंत्री को अदालत बुलाने पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एएनएस नडकर्णी ने आपत्ति जताई, तो अदालत ने साफ किया कि कोर्ट उन्हें समन नहीं करेगा और उन्हें सिर्फ सलाह देने के लिए बुलाया जाएगा।


देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियां लाने के लिए एक स्वयंसेवी संस्था की याचिका सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने एएसजी से पूछा- क्या मंत्री इस मुद्दे पर सलाह देने के लिए कोर्ट आ सकते हैं? इस पर एएसजी ने कहा- अगर मंत्री कोर्ट में आएंगे, तो इसका राजनीतिक कारणों से दुरुपयोग हो सकता है। इसके बाद कोर्ट ने साफ किया- मंत्री को समन नहीं किया जा रहा। वे सिर्फ सलाह देने के लिए आएंगे।


कोर्ट ने कहा- प्रशांत भूषण मंत्री से बहस नहीं करेंगे


इस मामले में स्वयंसेवी संस्था सीपीआईएल की तरफ से वकील प्रशांत भूषण पैरवी कर रहे थे। कोर्ट ने हल्के अंदाज में कहा- हम जानते हैं कि प्रशांत भूषण राजनीतिक व्यक्ति हैं, लेकिन वे मंत्री से बहस नहीं करेंगे। भूषण ने कोर्ट को केंद्र सरकार की नेशनल ई- मोबिलिटी मिशन प्लान (एनईएमएमपी) - 2020 की जानकारी दी। उन्होंने योजना को लागू कराने और इसके तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने के लिए सब्सिडी देने की मांग की।


ई-व्हीकल्स को प्राथमिकता दे सरकार- सुप्रीम कोर्ट


दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। इस अवधि में सरकार को इस पर विचार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्र को एनईएमएमपी - 2020  पर फैसला करने के लिए प्राधिकरण बनाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए पटाखे चलाने और पराली नहीं जलाने के लिए कहा जाता है, जबकि ऐसा साल में एक बार होता है। गाड़ियों से हमेशा प्रदूषण फैलता है। लेकिन, इस पर बात नहीं होती। हमें इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।